भीना भीना मौसम
भीना भीना मौसम , और ये बदले बादल ।
अंग -अंग भींग जाये , हो जाऊँ मैं पागल ।।
प्रथम प्रेम का स्पन्दन , मन की कलियाँ खिली ।
रोम -रोम महका मेरा , दिल की बगियाँ खिली ।।
यह तो तेरी नेह बारिश, हो जाऊँ मैं घायल ।
अंग -अंग भींग जाये , हो जाऊँ मैं पागल ।।
साखी आली अब न भाए, जब पाया तुझको ।
छोड़ के बाबुल की देहरी , अप नाया तुझको ।।
झरर-झरर फुहार पड़े , जैसे बजती हो पायल।
अंग -अंग भींग जाये , हो जाऊँ मैं पागल ।।
हो गयी मैं मतवाली , पड़कर तेरे प्यार में ।
बहकी -बहकी सी, अब न पड़ूँ तकरार में ।।
हर बात को तेरी मानूँ ,क्योंकि तेरी हूँ कायल ।
अंग -अंग भींग जाये , हो जाऊँ मैं पागल ।