भीतर तेरे ये कैसी आहट है
पूछा जो मैंने एक दिन अपने आप से
भीतर तेरे ये कैसी आहट है??
आवाज़ आयी खुद-ब-खुद अंदर से आकांक्षा तेरी कुछ और हैं
पर तेरा मार्ग कुछ और हैं
रूह से इश्क करना था तुझे
पर चेहरे पर तेरा जोर हैं
खुली फिजा, हरियाली शुद्ध हवा की चाहत है तेरी
पर घर की दीवारों की सजावट तेरा जोर है
सपने देखता है शुद्ध वातावरण के
पर पेड़ों को काटने की कोशिश पुरजोर है…..
– कृष्ण सिंह
मेरे बारे में….
मेरा नाम “कृष्ण सिंह” है । मैं सरकारी जॉब में हूँ । हरियाणा के रेवाड़ी जिले के छोटे से गांव में रहता हूँ । कविता अपने लिये लिखता हूं, लेकिन औरों से बाटने में आनन्द की अनुभूति होती है । प्रथम कविता 02 फरवरी 2022 में अमर उजाला अखबार के “मेरे अल्फ़ाज़” ब्लॉग में “कुछ कहने का दिल है आज बहुत दिनों के बाद” शीर्षक से प्रकाशित हुई है। तभी से लिखने की एक नई दिशा मिली हैं । आपके अमुल्य प्रतिकिया के सदैव इन्तजार में… कृष्ण सिंह’…. आप मुझसे बात यहाँ कर सकते …. आप चाहे तो अपना नाम और e-mail id भी दे सकते है ।