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2 Jan 2021 · 1 min read

भीतर का दर्द

भीतर एक गहरा सा
घना अंधेरा,
व्याकुल मन
उदास बैचेन सा कुछ
हँसती हँसी भी मानों मुझ पर
खुश है केसा ये बता
कैसा जीवन
यार की बारात में कौन तेरा
कहे जिसे तेरा मन
व्यथा, व्याकुलता,
सब में घीरा कौन समझें
भीतर का दर्द ।

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