भीतर का दर्द
भीतर एक गहरा सा
घना अंधेरा,
व्याकुल मन
उदास बैचेन सा कुछ
हँसती हँसी भी मानों मुझ पर
खुश है केसा ये बता
कैसा जीवन
यार की बारात में कौन तेरा
कहे जिसे तेरा मन
व्यथा, व्याकुलता,
सब में घीरा कौन समझें
भीतर का दर्द ।
भीतर एक गहरा सा
घना अंधेरा,
व्याकुल मन
उदास बैचेन सा कुछ
हँसती हँसी भी मानों मुझ पर
खुश है केसा ये बता
कैसा जीवन
यार की बारात में कौन तेरा
कहे जिसे तेरा मन
व्यथा, व्याकुलता,
सब में घीरा कौन समझें
भीतर का दर्द ।