भीड़ है रंगमंच सजा है, पर हम अकेले किरदार से है।
भीड़ है रंगमंच सजा है, पर हम अकेले किरदार से है।
यूं लगता है सभी मेहमान हैं, और हम पहरेदार से हैं।
सबने जतन किये हैं किरदार निभाने को, हम बीमार से हैं।
नहीं मिलती मेरी पोशाक किसी से भी, मानों हम दरबान से हैं।
सभी ने मुखौटा लगा रखा है, बेशर्म दिखने का।
सुकून इस बात है मुझको, हम सम्मान से हैं।
श्याम सांवरा…