भीगे-भीगे मौसम में…..!!
भीगे-भीगे मौसम में थोड़ी बेईमानी हो जाए,
आ लौट चलें फिर बचपन में थोड़ी शैतानी हो जाए।
भीगे-भीगे मौसम में…….!!
रिमझिम-रिमझिम पड़े फुहार मनवा गाए राग-मल्हार,
क्यों न ऐसे मौसम में थोड़ी मनमानी हो जाए।
भीगे-भीगे मौसम में…….!!
घिरी घटाएं काली-काली झूम रही है डाली-डाली,
इंद्रधनुषी रंगों से फिर शाम सुहानी हो जाए।
भीगे-भीगे मौसम में……..!!
कागज की फिर नाव बनाए और पानी में उसे चलाएं,
जमा मगर छत पर पहले बारिश का पानी हो जाए ।
भीगे-भीगे मौसम में……..!!
रचनाकार :- कंचन खन्ना,
मुरादाबाद, (उ०प्र०, भारत) ।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार) ।
दिनांक :- १६/०७/२०१६.