कृति : माँ तेरी बातें सुन....!
23/201. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
लोगों को सफलता मिलने पर खुशी मनाना जितना महत्वपूर्ण लगता है,
कान्हा तेरी नगरी, आए पुजारी तेरे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ग़ज़ल _ दर्द सावन के हसीं होते , सुहाती हैं बहारें !
विचार, संस्कार और रस [ तीन ]
Two Different Genders, Two Different Bodies And A Single Soul
मत कुरेदो, उँगलियाँ जल जायेंगीं
सच हमारे जीवन के नक्षत्र होते हैं।
कली से खिल कर जब गुलाब हुआ
गरबा नृत्य का सांस्कृतिक अवमुल्यन :जिम्मेवार कौन?
"धन-दौलत" इंसान को इंसान से दूर करवाता है!
*जिंदगी* की रेस में जो लोग *.....*
बहुत फ़र्क होता है जरूरी और जरूरत में...
मैं सुर हूॅ॑ किसी गीत का पर साज तुम्ही हो
घनाक्षरी छंदों के नाम , विधान ,सउदाहरण