भीगे तन-मन न छतरी
सावन आया झुम के सावन आया
बादल बरसे बिजली चमकी, आया
रंग- बिरंगी छतरी ले कर सावन आया
भीगे तन-मन न छतरी बाजार से लाया
नील गगन अदभुत आभा, जो शोभा
इंद्रधनुष देवों का सुंदर चहुँ दिशा ला
खेतों में हल जोत फसलों की बुआई
धरती ने श्रृंगार कर ओढी हरी चुंदडी
शीला गहलावत सीरत
चण्डीगढ़, हरियाणा