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18 Sep 2021 · 1 min read

भीगी पलकें

बचपन में गर तुमसे हमने मोहब्बत की ना होती
उम्र के इस पड़ाव पर जिंदगी यूँ तन्हा ना होती

पता ना था इश्क हमारा सिर्फ हमारा ही तो था
मौहब्बत हमारी किसी और की हमसफर ना होती

तेरी मुलाकातों का सफर आज भी जहन में है
गर इज़हारे मोहब्बत कर देते तो रुसवाई ना होती

डोली तेरी रुखसत की जब उठाई थी हंस कर हमने
खून अरमानों के किये होते तो पलके यूँ भीगी ना होती

बहते अश्कों को कभी सूखने ना दिया हमने
साफ नज़रों से देखते तो जिंदगी आसां ना होती

वीर कुमार जैन
18 सितंबर 2021

Language: Hindi
Tag: शेर
2 Likes · 4 Comments · 533 Views
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