Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 May 2024 · 2 min read

*भिन्नात्मक उत्कर्ष*

डॉ अरुण कुमार शास्त्री

भिन्नात्मक उत्कर्ष

जीवन तनहाई ही तो है, अंततोगत्वा ।
रह सकते हो तो तन्हा ही रहना, लड़ना ।
और उसी प्रक्रिया में देह त्याग देना ।

सम्मान करना सीख लो यदि पुरुष हो
तो नारी का, अपनी हो पराई हो
और यदि नारी हो तो पुरुष का ।

वरना अकेले ही रहना , भिन्नात्मक उत्कर्ष
या अनमने मन से साथ रहने को
साथ नहीं कहा जा सकता , एय दोस्तों ।

अन्यथा –

जीवन तनहाई ही तो है, अंततोगत्वा ।
रह सकते हो तो तन्हा ही रहना, लड़ना ।
और उसी प्रक्रिया में देह त्याग देना ।

प्यार है तो ये ही व्यवहार है तुम्हारा ,
जो लेकर जाएगा मंजिल तक,
हां देर लगेगी , ये लिख के ले लो सुनिश्चित है ।

जीवन तनहाई ही है अंततोगत्वा
रह सकते हो तो तन्हा ही रहना लड़ना ।

टूट मत जाना बीच मझधार में ।
फिर कुछ नहीं बचेगा ।
इच्छा को सर्वोपरि मानकर झुक भी मत जाना,

स्थिर रहोगे तो ही सुरक्षित रहोगे ।

तनहाई सुनाएगी गीत अनमने अनजाने
और तुम्हें सुनना पड़ेगा, जीतोगे तो तारीफ
हारोगे तो ताने, सहना पड़ेगा । लिख के ले लो ।

जीवन तन्हाई ही है अंततोगत्वा
रह सकते हो तो तन्हा ही रहना, लड़ना ।

अपनों ने अपमान किया तुम सह आए, क्यूँ कि वे अपने थे ।
गैरों से सम्मान, मिले तो क्षुब्ध हुए , और तन गए ।
मत नियत को नियति मान लेना तुम ।

मानोगे तो चूक होगी , बहुधा ऐसा ही होता है ।
तुम मत चूक जाना , वक्त हालात, किस्मत से
तुम्हें आसानी से कुछ न मिलेगा, छीनना पड़ेगा ।
मेहनत से , या किस्मत से….या फिर वक्त से ।

जो पाओगे सिद्ध सत्य , सैद्धांतिक संकल्पना में
स्वीकार करना पड़ेगा , ये जीवन मात्र एक अकेला ही,
मौका, देता, मौला सब को , तुम कोई खास नहीं।
लेकिन पहले परीक्षण करेगा , फिर देगा ।

चुरा सको तो चुनना मार्ग सजग हो कर ,
भूख को शरीर की कमजोरी मान नकार सको तो चलना ।
आसानी से उपलब्ध नहीं होगा , बुद्धत्व समझा करो ,।
अन्यथा इसको मत लेना , प्रयास तो करो ,

विचलित मत होना ,

जीवन तन्हाई ही तो है, अंततोगत्वा ।
रह सकते हो तो तन्हा ही रहना, लड़ना ।
और उसी प्रक्रिया में देह त्याग देना ।

साथ दिखेंगे अनेक, होंगे नही , भ्रांति होगी सत्य नहीं ।
जो होंगे वो दिखेंगे नही , लेकिन सच्चे अर्थों में ,
वो ही तेरे होंगे , मगर साथ चलने की जिद्द उनसे कभी करना नहीं।
आना होगा तो कहने की आवश्यकता नहीं होगी ।
नहीं आना होगा तो कह के देख को आएँगे नहीं ।

जीवन तन्हाई ही तो है, अंततोगत्वा ।
रह सकते हो तो तन्हा ही रहना, लड़ना ।
और उसी प्रक्रिया में देह त्याग देना ।

वरना अकेले ही रहना , भिन्नात्मक उत्कर्ष
या अनमने मन से साथ रहने को
साथ नहीं कहा जा सकता , एय दोस्तों ।

अन्यथा –

1 Like · 145 Views
Books from DR ARUN KUMAR SHASTRI
View all

You may also like these posts

सर सरिता सागर
सर सरिता सागर
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
इजहारे मोहब्बत
इजहारे मोहब्बत
Vibha Jain
प्रेम की लीला
प्रेम की लीला
Surinder blackpen
"भावनाएँ"
Dr. Kishan tandon kranti
विनती
विनती
Kanchan Khanna
चिड़िया
चिड़िया
Dr. Pradeep Kumar Sharma
शहर की गर्मी में वो छांव याद आता है, मस्ती में बीता जहाँ बचप
शहर की गर्मी में वो छांव याद आता है, मस्ती में बीता जहाँ बचप
Shubham Pandey (S P)
क़रार आये इन आँखों को तिरा दर्शन ज़रूरी है
क़रार आये इन आँखों को तिरा दर्शन ज़रूरी है
Sarfaraz Ahmed Aasee
जेब खाली हो गई तो सारे रिश्ते नातों ने मुंह मोड़ लिया।
जेब खाली हो गई तो सारे रिश्ते नातों ने मुंह मोड़ लिया।
Rj Anand Prajapati
तिरस्कार के बीज
तिरस्कार के बीज
RAMESH SHARMA
2827. *पूर्णिका*
2827. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
........दहलीज.......
........दहलीज.......
Mohan Tiwari
मन इच्छा का दास है,
मन इच्छा का दास है,
sushil sarna
■एक ही हल■
■एक ही हल■
*प्रणय*
Student love
Student love
Ankita Patel
कोई बात नहीं, कोई शिकवा नहीं
कोई बात नहीं, कोई शिकवा नहीं
gurudeenverma198
योग प्राणायाम
योग प्राणायाम
surenderpal vaidya
'ना कहने का मौसम आ रहा है'
'ना कहने का मौसम आ रहा है'
सुरेखा कादियान 'सृजना'
स्पर्श
स्पर्श
sheema anmol
सभी सिखला रहे थे जो सदा सद्धर्म नैतिकता।
सभी सिखला रहे थे जो सदा सद्धर्म नैतिकता।
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
कुछ अश्आर...
कुछ अश्आर...
पंकज परिंदा
स्वयंभू
स्वयंभू
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
#हे मा सी चंद्रिके
#हे मा सी चंद्रिके
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
*मटकी तोड़ी कान्हा ने, माखन सब में बॅंटवाया (गीत)*
*मटकी तोड़ी कान्हा ने, माखन सब में बॅंटवाया (गीत)*
Ravi Prakash
रोशनी की शिकस्त में आकर अंधेरा खुद को खो देता है
रोशनी की शिकस्त में आकर अंधेरा खुद को खो देता है
कवि दीपक बवेजा
हुए प्रकाशित हम बाहर से,
हुए प्रकाशित हम बाहर से,
Sanjay ' शून्य'
“पथ रोके बैठी विपदा”
“पथ रोके बैठी विपदा”
Neeraj kumar Soni
गजल ए महक
गजल ए महक
Dr Mukesh 'Aseemit'
Janab hm log middle class log hai,
Janab hm log middle class log hai,
$úDhÁ MãÚ₹Yá
प्यार के
प्यार के
हिमांशु Kulshrestha
Loading...