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28 Jul 2022 · 1 min read

भीगे अरमाँ भीगी पलकें

भीगे अरमाँ भीगी पलकें
भीगा है मन बारिश में
भीगा आसमाँ भीगी धरती
भीगा है तन बारिश में

घनघोर घटाएं घिर घिर आएं
हर्षित मन को खूब लुभाएं
भीगे पात पुष्प और कलियाँ
भीगा गगन है बारिश में

टप-टप करती हैं बूंदें करतल
पंछी करें नीड़ में कल-कल
बहने लगे सब नदी और नाले
भीगा भवन है बारिश में

चारों और फैली है हरियाली
महक उठी हर डाली-डाली
तितली भंवरे मचल उठे सब
भीगा चमन है बारिश में

हर्षित मन सभी का है प्यासा
दिल में जगी एक अभिलाषा
“विनोद”पुकारे मीत को अपने
भीगा बदन है बारिश में

भीगे अरमाँ भीगी पलकें
भीगा है मन बारिश में
भीगा आसमाँ भीगी धरती
भीगा है तन बारिश में

2 Likes · 2 Comments · 786 Views
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