भाषा की मर्यादा(दोहे)
आज ‘प्रखर’यह देखकर, अब आता आवेश ।
राजनीति में दे रहे , भाँति-भाँति उपदेश ।।
उनको पप्पू कह रहे , बिना ठोस आधार ।
ऐसे भी गप्पू मिलें , मुझको बारंबार ।।
भाषा में संसद नहीं, नेता हैं बीमार ।
शर्म हया भी ना दिखे ,करते तीक्ष्ण प्रहार ।।
~सत्येन्द्र पटेल’प्रखर’