‘भाषण’ लघुकथा
एक मोहल्ले के कुछ युवकों ने मिलकर रक्तदान समिति बनाई और शहर के निजी ब्लड बैंक के सहयोग से एरिया सामुदायिक हॉल में रक्तदान शिविर का अयोजन किया। युवकों ने शिविर को कामयाब बनाने के लिए घर-घर जाकर लोगों को रक्तदान करने के लिए प्रेरित किया, ताकि शिविर में अधिक से अधिक मात्रा में रक्त संग्रह किया जा सके। समिति अध्यक्ष का खयाल कि पूरे मोहल्ले को कार्यक्रम में रक्तदान के प्रति उत्साह पैदा करने के लिए किसी जनप्रतिनिधि को आमंत्रित किया जाए ताकि वह रक्तदान संबंधी भाषण से उन लोगों को रक्तदान करने के लिए तैयार करें, जो रक्तदान करने से हमेषा पीछे रहते हैं। इसी प्रयोजन को लेकर वे सभी पार्षद के घर गए और रक्तदान शिविर में पहुँचने का न्योता दिया। पार्षद स्वयं तो न पहुँच सके लेकिन अपने 26-27 वर्षीय पुत्र को कार्यक्रम में भाषण देने के लिए भेज दिया, क्योंकि उनका पुत्र भी भावी नेता के रूप में जनता अपनी पहचान बना चुका था। तयशुदा दिनांक व स्थान पर रक्तदान शिविर आयोजित हुआ। समय पर पार्षद का पुत्र भी जनसमूह को भाषण देने के लिए कार्यक्रम स्थल पर पहुँच गया। हॉल में करीब दो-ढाई सौ लोगों की भीड़ थी, दूसरी ओर रक्त संग्रह करने के लिए आयोजन स्थल पर पहुँची ब्लड बैंक टीम भी बिलकुल तैयार थी। युवा संगठन के अध्यक्ष ने मंच ने पार्षद के पुत्र का नाम घोषित किया, कि वे मंच पर आएं और रक्तदान के प्रति अपने विचार प्रस्तुत करें। भावी नेता ने मंच से रक्तदान संबंधी रटी-रटाई पंद्रह-बीस लाइनें पूरे जोर-षोर से बोल दीं और रक्तदान के फायदों के बारे में खूब लंबी-चौड़ा भाषण प्रस्तुत कर दिया। बोलते-बोलते उसने ये भी कह दिया कि इनसान को 18 वर्ष की आयु पूरी होने पर नियमित रूप से रक्तदान करना चाहिए ताकि रक्त के अभाव में किसी की जान न जाए। भाषण के जरिए भावी नेता ने आमजन से खूब वाह-वाही बटोरी और तालियों की गड़गड़ाहट से हॉल गुंजायमान हो उठा। जैसे ही वह मंच से नीचे उतरा तो एक पत्रकार जो कि शिविर की कवरेज करने के लिए पहुँचा हुआ था, उसने भावी नेता का इंटरव्यू लेना शुरू कर दिया।
‘‘महोदय, आपका शुभ नाम?’’ पत्रकार ने उत्सुकता से पूछा।
‘‘अंशुल श्रीवास्तव‘‘ भावी नेता ने मुस्कराहट से जवाब दिया।
‘‘क्या कार्य करते हैं आप?’’ पत्रकार ने अगला सवाल किया
‘‘मैं राजनीति विज्ञान का छात्र रहा हूँ और अब अपने पिता के साथ समाज सेवा कार्यों में भागीदारी निभा रहा हूँ।’’ भावी नेता ने उदारता प्रकट हुए जवाब दिया।
‘‘आपकी उम्र क्या है?’’ पत्रकार ने कुछ असमंज भाव से पूछा।
‘‘जी मैं 27वें वर्ष में प्रवेष कर चुका हूँ’’ भावी नेता ने कहा।
पत्रकार ने पहले से थोड़ा तेज व बुलंद आवाज से अगला प्रश्न किया-‘‘जैसाकि आपने पब्लिक को संबोधित करते हुए कहा, कि हर किसी को अट्ठारह वर्ष की आयु से रक्तदान करना चाहिए और आपकी आयु 26 वर्ष पूरी हो चुकी है, तो आप अब तक कितनी बार रक्तदान कर चुके हैं?’’
भावी नेता के पास जवाब के लिए कुछ न था और वह मुँह छिपाते हुए अपनी गाड़ी में बैठा और रवाना हो गया।
मनोज अरोड़ा
लेखक, सम्पादक एवं समीक्षक
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