भाव विश्व
समय डूबा
विचार पतझड़
नई पुरानी
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प्रेम विरह
बढ़ता अविरत
तूफ़ानी राहें
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मर्यादा छूटी
विलक्षण सुंदर
नारी चल दी
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जहां में सारे
मचलता फिरता
मेरा आशियां
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वक्त बेवक्त
यादों का दोहराना
सुन्न दिमाग़
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कहां से आए
ढूंढ़ती उम्रभर
सभी पीढ़ियां
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मंज़िल देखीं
दौड़ पडी चांदनी
चन्दा की आस
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घिरा है मन
विचारों के बादल
रुक्ष आसव
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