भाव देना भाव को अब छोड़ के,
भाव देना भाव को अब छोड़ के,
भावना का साज़ बन, तो बात है।
जो मुखर है वो कहां मोहताज है,
मूक की आवाज़ बन, तो बात है।।
भाव देना भाव को अब छोड़ के,
भावना का साज़ बन, तो बात है।
जो मुखर है वो कहां मोहताज है,
मूक की आवाज़ बन, तो बात है।।