भाव गान
चांदनी रात में चुप खड़े थे शजर
उनके साए में हम गीत गाने लगे
रात मुस्काई और चांद हंसने लगा
और सितारे भी सब गुनगुनाने लगे
दोनों के हाथ, दिल और गले थे मिले
दूर दुनिया से तन्हाई में थे खिले
भाव शून्य हो चले पग थिरकने लगे
धड़कनों से ही मन की सुनाने लगे
दूर जीवन की हर परेशानी हुई
खत्म जैसे दुखों की कहानी हुई
देह और आत्मा दोनों हर्षित हुए
हम किसी और दुनिया में जाने लगे