भाव गणित
खुशी बाँटने से बढ़ती है।
दुःख बाँटने से कम होता है।
ज्ञान बाँटने से बढ़ता है।
दान देने से धन बढ़ता है।
अहंकार से क्रोध बढ़ता है।
आत्मीयता से प्रेम बढ़ता है।
सर्मपण से बलिदान बढ़ता है।
एकाकीपन से वैराग्य बढ़ता है।
सावधानी से सुरक्षा बढ़ती है।
अनुशासन से पराक्रम बढ़ता है।
प्रतियोगिता से प्रतिभा बढ़ती है।
व्यावाहरिकता से कार्यक्षमता बढ़ती है।
जिज्ञासा से अनुसंधान बढ़ता है।
नियंत्रण से दक्षता बढ़ती है।
दमन से विद्रोह बढ़ता है।
उपेक्षा से असन्तोष बढ़ता है।
ईर्षा से निंदा बढ़ती है।
लोभ से अपराध बढ़ता है।
सौजन्य से सहयोग बढ़ता है।
तिरस्कार से क्रोध बढ़ता है।
सुशासन से व्यापार बढ़ता है।
संस्कार से चरित्र बढ़ता है।
आलस्य से अकर्मण्यता बढ़ती है।
द्वेष से निर्ममता बढ़ती है।
अभाव से संचय प्रवृत्ति बढ़ती है।
सफलता से आशा बढ़ती है।
अन्याय से कुंठा बढ़ती है।
शिक्षा से सोच बढ़ती है।
क्षमा से पश्चाताप् बढ़ता।
निरंकुशता से उद्दंडता बढ़ती है।
सद् भाव से प्रेम बढ़ता है।
विनियोजन से विकास बढ़ता है।
खेलकूद एवं सांस्कृतिक आयोजनों से सामन्जस्य बढ़ता है।
औद्यौगिक विकास से रोजगार अवसर बढ़ते हैं।
राष्ट्रनीति से समृद्धि बढ़ती है।