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30 Aug 2023 · 1 min read

*भावों मे गहरी उलझन है*

भावों मे गहरी उलझन है
**********************

भावों में गहरी उलझन है,
रिश्तों में ब्रहती खुटपन है।

दुनिया जग में आनी – जानी,
साँसों से चलती धड़कन है।

काँटों के बिस्तर पर देखो,
फूलों से खिलता उपवन है।

देखा – देखी में देखा हमने,
देखी भारी पीछे पलटन है।

जोबन हर पल मन भटकाए
मनभायी शोभित लटकन है।

नीरस तल पर पैदा होता,
फल-फूलों से रस उतपन्न है।

मनसीरत कर्मों का प्रतिफल,
रुप की देवी भी निर्धन है।
***********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
199 Views

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