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16 Sep 2024 · 1 min read

भावों का भोर जब मिलता है अक्षरों के मेल से

भावों का भोर जब मिलता है अक्षरों के मेल से
गढ़ता है पन्नों में खाली पड़े अंतराल को
समय का वेग जहाँ इंतजार लिये कतार में निर्विघ्न
पुछता है वर्तमान से
मिले क्या साक्ष्य ऐसे कर्म की शिला पर
जिसे कह सके स्याही की बुंद
हाँ प्राण से भरे शब्द हैं ये

“शब्द”

©️ दामिनी नारायण सिंह

61 Views
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