भावनात्मक शक्ति
भावनात्मक शक्तियों को
सामाजिक संदर्भों में इंगित किया जाता है,
इसे भावनाओं के समझने, पहचानने
और सामाजिक स्वीकार्यता की क्षमता का
एक तरीके के संचालित शक्ति का रूप माना जाता है।
जिसका उद्गम स्थल आत्मा होता है,
जिसका संबंध किसी रिश्ते को प्रगाढ़ बनाता है,
जिस पर किसी का कोई अंकुश नहीं होता है,
क्योंकि ये स्वतः प्रस्फुटित होता है,
आत्मा से प्रकट होता और आत्मा से जुड़ता है
दूर हों या पास, भावनाओं का तार
सीधे भावनाओं से जुड़ता है,
कुछ बोध, कुछ आभास, कुछ संकेत करता है
भावनाओं की शक्ति से अनजानों से
आत्मीय संबंध हो जाता है।
भावनात्मक शक्तियों का कोई रुप रंग आकार नहीं होता,
किसी की भावना पर किसी और का
नियंत्रण या कोई अधिकार नहीं होता,
भावनात्मक शक्तियों का कोई पैमाना नहीं होता
भावनात्मक से रुप से जुड़ने वाला ही
इस शक्ति को पहचान पाता,
हर किसी के लिए इन शक्तियों का
अलग महत्व, मापदंड और प्रभाव होता है,
किसी के लिए आम,तो किसी के लिए खास होता है,
भावनात्मक शक्तियों का अजब गजब संसार होता है।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश