भावनाओ के गीत
भावनाओं के गीत
हृदय की सारी भावना नष्ट हो गई….
प्रेमी तुझपे प्रेम लूटाने में….
प्रेम में जाने वे कौन लोग सफ़ल है….
याद जिन्हें आज़ भी ज़माने भर के लोग करते हैं….
हमारी तो सारी भावना तुम हो…..
जाने कौन समंदर में रहते हो….
कौने गगन में उड़ते हो….
याद रखूंगी कोई प्रेम दिवस…
जब तुम मन में छाए थे….
गीत लिखूंगी कभी तो….
राग में तुम्हें लिखूंगी….
शब्दों से जाल बुनूंगी….
तुम्हें अपना बनाने को….
लिखूंगी तुमपे ही….कोई अमर गीत…
साहस देखना ….कभी तुम मेरा….
आजमा लेना प्रेम भी….कभी दिखावे में….
ज़िंदगी तुम हो….
जीवन झरना….
प्रेम समंदर….
अब जीवन का मरुस्थल भी तुम हो….
चल पड़ी हूं प्रेम ख़ोज में…
कौने दिशा में तुम मिल पाओगे….
तपी रेती और ये जीवन प्यासा…
कैसे ये प्यास बुझ पायेगी….
आना तुम जीवन संध्या में….
आश लगाए रखूंगी…. इंतज़ार में…
उस मृत्यु की दस्तक तक..…
सुनना मेरी धड़कनों को…
तुम बिन कैसे… थम रही…
तुम बिन कैसे ये रुक गई
बंद पड़ी धड़कनों की संगीत।।