भालचंद्र छन्द
भालचंद्र छन्द
121 212 121 212 121 21
पढ़ा लिखा सुता सदैव विश्व में बने सुजान।
निशंक देश में रहे सुकर्म से बने महान।
प्रसिद्धि देश मे बने मिले महान संसकार।
रहे सदा सुखी यहाँ समाज से मिले दुलार।
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न दर्प ज्ञान का करो रहो सदैव धैर्यवान।
सप्रेम बोलिये सदा सुकर्म से बनो महान।
न झूठ पे कभी चलो चुनो सदैव सत्य पंथ।
सुधर्म पे चले मनुष्य तो रचे नवीन ग्रंथ।
अभिनव मिश्र अदम्य