भारी संकट नीर का, जग में दिखता आज ।
भारी संकट नीर का, जग में दिखता आज ।
रक्षा यदि हम नहि किए,रक्षित नही समाज ॥
रक्षित नही समाज, रहेगा भूखा प्यासा ।
जल जीवन आधार ,नही हो जीवन आशा ॥
करती नही उपाय , कहे बस दुनिया सारी।
कैसे मिलेगा शुद्ध , वारि का संकट भारी ॥