भारी पहाड़ सा बोझ कुछ हल्का हो जाए
भारी पहाड़ सा बोझ कुछ हल्का हो जाए
जब जब मेरी चिंता बढ़े माँ सपने में आए
ये सभी वृद्धआश्रम आज लगभग रिक्त हो जाए
किसी औलाद की माँ बेघर न हो जाए
– शेखर सिंह
भारी पहाड़ सा बोझ कुछ हल्का हो जाए
जब जब मेरी चिंता बढ़े माँ सपने में आए
ये सभी वृद्धआश्रम आज लगभग रिक्त हो जाए
किसी औलाद की माँ बेघर न हो जाए
– शेखर सिंह