भारत
मैं भारत हूँ
मेरी सर्वोच्च चोटी पर
शोभित हैं शिव
मेरी नदियों किनारे
गाये गए वेद
यमुना ने देखा
कृष्ण को नाचते गाते हुए
चाणक्य ने लिखे अपने विचार
राजनीति पर
कालिदास ने लिखी वो कहानियाँ
जो हो गई अजर अमर
मैं हूँ वह भूमि
जहां राजा उठ खड़े होते हैं
सत्य के शोधक के स्वागत में
देखा है मैंने
राजाओं को सिंहासन त्यागते हुए
जंगलों में जाते हुए
सत्य की खोज में
देखा है मैंने
भास्कर को गणित को
संगीत, नृत्य, और साहित्य में ढालते हुए
देखा है भास्कर ने
गणित चहुँ ओर
मैं आश्चर्य में हूँ
क्यों मेरी ही संतान
भूल गई है मेरा इतिहास ?
जानता हूँ
मंत्र गाए जाते हैं
भूमि, जल, वायु , सूर्य की प्रशंसा में
पर क्या यह सच नहीं
उसी साँस में
गंदा किया जाता है सब कुछ ?
समय आ गया है
मैं मनुष्य रूप धारण कर
जाऊँ घर घर
गाँव गाँव
स्कूल स्कूल
और जगाऊँ मनुष्य की चेतना को
एक बार फिर
और कहुं
सँभालो
अपना सत्यम शिवम् सुंदरम् ।
….. शशि महाजन