भारत में लागू तमाम योजनाओं का विवरण
भारत में लागू तमाम योजनाओं का विवरण
सर्वप्रथम मैं बात करना चाहती हूँ भारत में लागू तमाम ऐसी योजनाओं के बारे में जो सरकार ने केवल अपनी सुविधाओं के लिए बना रखी हैं जैसे एक योजना सरकार ने लागू की है घर घर रसोई गैस पहुँचाने की उज्जवला योजना इस योजना में इतना अधिक लापरवाही है की बताया नहीं जा सकता गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के लिए सरकार ने एक लिस्ट हर गैस एजेंसियों पर वितरित की है जिसमे इतनी ज्यादा त्रुटियां हैं की समझ नहीं आता की कौन गरीब है और कौन अमीर कई ऐसे लोगों के नाम हैं इसमें जिनको इस योजना की कोई जरुरत नहीं और कई ऐसे लोगों के नाम नहीं हैं जो वास्तविक रूप से लाभ पाने योग्य हैं पहले तो सरकार को एक ऐसा कानून लागू करना चाहिए जिसमे हर व्यक्ति की मासिक आय और मासिक खर्चों का विवरण हो सरकारी नौकरी वाले व्यक्ति को एक एक लाख रुपए वेतन मिलता है महीने में और प्राइवेट नौकरी वाले का कोई जिक्र नहीं है कैसे ये उज्जवला योजना लागू की है सरकार ने कुछ समझ नहीं आता,
दूसरी योजना सरकार की है रिटायर्ड व्यक्ति को जीवन काल तक पेंशन देने की एक तो नौकरी के वक़्त इतना अधिक वेतन होता है की एक व्यक्ति कमाता है तो सारा घर खाता है और उसके बाद नौकरी खत्म तो पेंशन शुरू मैं ये नहीं कह रही की पेंशन बंद होनी चाहिए मैं बस इतना कह रही हूँ की एक तरफ तो सरकार कहती है की सरकारी खजानों में पैसा नहीं है और दूसरी तरफ सरकारी नौकरी वाले को एक एक लाख वेतन मिलता है और जो व्यक्ति अपना आम जीवन यापन कर रहा है उसको कोई पेंशन नहीं कोई लाभ नहीं अगर एक सरकारी व्यक्ति के वेतन में से सिर्फ ५००० रुपए ही निकले जाए तो मैं समझती हूँ की प्राइवेट नौकरी करने वाले पांच व्यक्तिओं के हिस्से में एक एक हजार रुपए आ सकते हैं मगर अफ़सोस यही है की सरकारी खजानों में पैसा नहीं है,
तीसरी योजना सरकार की व्यवश्थाओं की है ऐसी व्य्वसथाएं हैं हर शहर हर जिले में की जबाब नहीं है कहीं इतनी बेहतरीन सड़के हैं और कहीं निकलना दुशवार है
कहीं तो कैमरे लगे हैं इतने की कोई निकले तो भी रिकॉर्ड हो जाये और कहीं पूरी वारदात हो जाती है और दोषी का पता तक नहीं चलता है कहीं जानवर एक नहीं दिखता है और कहीं सिर्फ जानवर ही नजर आते हैं,इतनी ज्यादा स्थिति ख़राब है हर शहर और जिले की बयान कर पाना मुश्किल है,हर तरफ बस बाते ज्यादा हैं और काम काम है ये है सरकार आज की,
चौथी योजना है सरकार की चुनाव के वक़्त ढेर सारे झूठे वादे और उनके गलत इरादे शामिल होने की हर कोई बस झूठ ही बोलता है सिर्फ झूठ इतने अधिक वादे करता है की खुद ही भूल जाता जाता है की करना क्या है हर गली हर मोहल्ले में इस वक़्त एक अजीब सा मेला लगा हुआ है हर गली में एक चुनाव निशान के साथ एक उम्मीदवार का फोटो छपा हुआ एक बैनर लगा है और प्रत्याशी जीत की दरकार लिए खड़ा है इस चुनाव के दौर को देखते हुए मैंने कुछ पंकियाँ लिखी हैं जो आपके बीच रखना चाहती हूँ ठीक लगे तो समर्थन दीजियेगा,
हर तरफ चुनाव का त्यौहार है,
हर किसी को जीत की दरकार है,
हर किसी की बातों में बस वादे हैं,
पर इन वादों के पीछे छुपे गलत इरादे हैं,
जीतेगा बस एक मगर सब लगे हैं कतार में,
क्या पता कौन बाज़ी मारे चुनाव की बहार में,
कुर्सी मिलते ही किसी को न पहचानेंगे,
कौन हो तुम क्या नाम तुम्हारा बस इतना ही जानेंगे,
हाथ जोड़कर आये हैं जो आज तुम्हारे द्धार,
इन सारे नेताओं की महिमा है अपरम्पार,
हाथ जोड़कर नोट कमाना यही है इनका व्यापार,
इनको बस कुर्सी मिल जाये भाड़ में जाए सरकार,
-लेखिका रश्मि शुक्ला
– पीलीभीत उत्तर प्रदेश