भारत माता की पुकार !
भारत माता तो कह देते हो
पर क्या इतना सम्मान दे पाते हो ?
जयकारा तो बहुत लगते हो
पर क्या हर पल याद रख पाते हो ?
नफ़रत का ज़हर फैलाते फैलाते
क्यों मेरी कोख को ख़ून से रंग जाते हो ?
जब भाईचारा नहीं रख सकते हो
तो माँ का दर्जा क्यों दे जाते हो ?
तिरंगे की हिफ़ाज़त नहीं कर सकते
तो हर साल क्यों उसे फहराते हो ?
जाओ पहले मेरे उस गौरवशाली अतीत को जानो
सोने की चिड़िया से जानी जाती
उस माँ की कहानी जानो
इसकी ख़ातिर जान लूटाने वाले
मतवालों को पहचानो
अपनी संस्कृति अपनी सभ्यता की
दौलत को जानो
अपने दान तप दर्शन चरित्र ज्ञान की
महता को मानो
फिर उठाओ मेरे नाम का झंडा
मेरे नाम के साथ उसे गर्व से
लहराओ फहराओ और ख़ुद को
क़िस्मत वाला मानो