भारत माता की छाती
आज फिर आहत हुई है ,
भारत माता की छाती ।
और कितने बलिदानों से,
आतंक मुक्त होगी ये माटी ।
देश की सीमा पर खडा़ जवान,
लड़ रहा आतंकी से ।
और देश के भीतर ,
लड़ रहा नक्सलियों से।
रक्तरंजित हुई है माटी ,
शहीद जवानों के लहू से।
और कितनों की शहादत होगी,
ये रक्त रंजिश मिटाने को ।
नक्सलियों को मिलता रहता,
राजनीतिक संरक्षण है ।
देश के ही गद्दारों के कारण,
होती सैनिकों की शहादत है।
सरकार क्यों आदेश नहीं देती सेना को,
उखाड़ फेकों नक्सलियों को ।
नामोनिशान मिट जाएगा इनका,
अमन चैन फिर आ जाएगा ।
कोई तो रास्ता निकालो ,
और बंद हो जाए ये खूनी खेल ।
फिर कभी भारत माता को,
रोना न पडे़ खून के आंसू ।।
डां. अखिलेश बघेल
दतिया (म.प्र.)