भारत भाषा हिंदी
दुनिया में लाखों भाषाएँ, मेरी भाषा हिंदी।
अलंकारों से सजी हुई है, भारत भाषा हिंदी।।
दसों रसों का सार है जिसमें,रसमयि भाषा हिंदी।
छंदों से गरिमा है जिसकी,छंदावाली है हिंदी।।
दोहा,सोरठा, अरु चौपाई,सुरमयी भाषा हिंदी।
रौला,कुंडलियाँ, हैं गीतिका,समृद्ध भाषा हिंदी।।
दुनिया की सब भाषाओं की,है मांथे की बिंदी।
देवनागरी लिपि है जिसकी,मेरी प्यारी हिंदी।।
तत्सम,तदभव अपभ्रंशों से मिल जाए बो हिंदी।
तुलसीदास के रामचरित में, अवधि भाषा हिंदी।।
प्रेमचंद के ‘गवन’, ‘वतन’ का ‘कायाकल्प’ है हिंदी।
सड़सठ भाषाओं की जननी,राष्ट भाषा हिंदी।।
राजकाज के काम चलाए, राजभाषा हिंदी।
राष्ट्रप्रेम की अमर कहानी,’कल्प’ गाये हिंदी।।
हिंदी दिवस पर हिंदीप्रेमियों को समर्पित।
अरविन्द सिंह “कल्प”