भारत-भारती हिंदी /
मेरे प्रिय समस्त भारत वासियों व अप्रवासी भारतीयों को विश्व हिंदी दिवस की शुभकामना स्वरूप प्रस्तुत हैं कुछ काव्य-सुमन –
भारत-भारती हिंदी /
हृदय सरिता प्रवाहित है,
नयन-तट पर खिले हैं
दृष्टि के तरु भी ।
अधर-पट खोल दो कविवर !
उठाकर तूलिका कर में,
डुबोकर भाव के रस में
उकेरो कृष्ण-रेखाएँ
रुपहले भोजपत्रों पर ।
भवों की कोर से लेकर
कपोलों और कर्णों से
सजाकर हार वर्णों का
बना लो कंठ को कोकिल ;
दहकते भाल पर माँ के
सजा दो शीत-सी बिंदी ।
कि भारत-भारती हिंदी ।
कि भारत-भारती हिंदी ।।
—- ईश्वर दयाल गोस्वामी ।