भारत बनाम (VS) पाकिस्तान
धरा पर वास करने वाले
जरा जरा पास आकर सच के साथ देखें।
बरसों से तुमने खोया ही हैं।
पाया हैं क्या माँ को बांटकर ।
क्षेत्र बाँटते परिक्षेत्र बाँटते , जिससे विकास होता।
दिल से दिमाग तक बांट डाले ईमान।
पाया हैं क्या माँ को बाँट कर।
बांटकर क्या कभी सुखी होता है कोई ।
बता नादान हो ना तुम ॥
मेरे स्वदेश है, मेरे स्वदेश अच्छे हैं।
अच्छी भली चंगी नारा है।
जो जान से भी प्यारा है।
लेकिन क्या मां (एहसास जुड़ने )से भी प्यारा है।
किसी घर के लिए मां का बंटवारा अच्छी दंश नहीं है।
बताओ प्यारें
क्या तुम्हें चैन मिलती है vs क्या तुम बेचैन नहीं हो।
किसने ना तुम्हें ठगा होगा ।और तुम किससे ना ठगाते हो।
तब जाकर नारा लगाते हों।
बस धरती झेल रही है,
विध्वंसक मार ,वार झेल रही है।
खाड़ी युद्धों की मार ,वार मानवता ही नहीं धरा भी झेल रही हैैं।
कायरों, काफिरों की हैं ये युद्ध करने वाले संताने।
धरा पर वास करने वाले……………….
_ डॉ. सीमा कुमारी ,बिहार ,भागलपुर, दिनांक25-6-022की मौलिक एवं स्वरचित रचना जिसे आज प्रकाशित कर रही हूं।