भारत देश हमारा है
सागर जिसके चरण पखारे,
हिमगिरि जिसका प्रहरी है ।
भरा प्राकृतिक वैभव से यह,
भारत देश हमारा है ।
वसुधा इसकी पावन इतनी,
देवों ने अवतार लिया ।
छः ऋतुओं ने समय-समय पर,
इसका है श्रृंगार किया ।
त्याग तपोमय भूमि हमारी,
सारे जग से न्यारा है ।।
उपदेश कृष्ण दे गीता का,
जग में ज्ञान प्रकाश भरा ।
रघुनंदन के तूणीरों ने,
वसुधा से फिर पाप हरा ।
स्वर्ग लोक से आ गंगा ने,
इसको और निखारा है ।।
संस्कृतियों का संगम यह है,
भाषाओं की जन्म स्थली ।
गान ऋचाओं का गूँजे नित,
जन्में कितने महाबली ।
है अखंड यह विश्व गुरू भी,
भारत सबको प्यारा है ।।
✍️ अरविन्द त्रिवेदी
महम्मदाबाद
उन्नाव उ० प्र०