भारत जनता उर बसे
भ
भारत जनता उर बसे,महाबली हनुमान।
रक्षित भारत मम रहे,रचते उचित विधान।
रचते उचित विधान,वीरता उर में भरते।
लख के जिसको शत्रु,हृदय में अतिशय डरते।
नहीं कभी बर्दाश्त,किसी की यहाँ शरारत।
कहता कविवर ओम,शक्ति निधि अपना भारत।।
भारत बैरी जो दिखे,करिए उचित प्रहार।
भारत गरिमा ठेस को,नहीं करो स्वीकार।
नहीं करो स्वीकार,उचित निर्णय उर लेना।
दुश्मन को मुँह तोड़,सदा ही उत्तर देना।
हर लो उसके प्राण,करे जो जरा शरारत।
वीरों का सम्मान,हृदय में बसता भारत।।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम