भारत के ‘लाल’
भारत के लाल
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हे! निज भारत के ‘लाल’;
तुम ही, सच्चे ‘बहादुर’ थे;
उस वक्त तूने देश संभाला,
जब हो चुके, कई भूल थे।
‘काशी’ के थे, तुम वासी;
तू शिरोमणि, ‘कायस्थ’ के;
जात-पात, तुमने मिटाया;
नाम से, ‘श्रीवास्तव’ हटा;
उपनाम, ‘शास्त्री’ लगाया;
सुलह हेतु, ‘ताशकंद’ गए;
वहीं रहस्यमयी, जान गंवाया;
इरादे के थे,तुम कितने पक्के;
65 में,पाक के छुड़ाए छक्के;
“जय जवान जय किसान” गाए,
देशी ‘शांतिदूत’ बन तुम आए,
‘ईमानदारी’, तेरी शक्ति थी;
‘वफादारी’ ही तेरी भक्ति थी;
‘सहजता’ का तुमने सबको,
बहुत सुंदर सा, पाठ पढ़ाया;
तूने,सदा देश का मान बढ़ाया;
तेरी,सदा जय-जयकार जरूरी;
तब हो ‘भारतमाता’ इच्छा पूरी।
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स्वरचित सह मौलिक
….✍️ पंकज कर्ण
………..कटिहार।।
तिथि :०२/१०/२०२१