भारत के भाल पर , दमकती बिंदी -हमारी हिंदी
भारत के भाल पर , दमकती बिंदी ।
हमारी संस्कृति, हमारा साहित्य,
हमारी शान,
हमारी हिंदी ।।
अभिव्यक्ति की वेणी में गुंथी,
मोंगरे के गुच्छों सी हिंदी ।
धूल-धुसरित खेलते बच्चों के
कंचों सी हिंदी ।।
सूफ़ी सी हिंदी,
संतों सी हिंदी ।
उर्दू की सहचरी,
कंठों सी हिंदी ।।
सुनने में मिसरी सी,
अमृत रस घोलने में हिंदी।
लिखने में देवनागरी,
बोलने में हिंदी ।।
* ये मैं ही हूँ…