भारत के भाग्य विधाता
मुक्तक – भारत के भाग्य विधाता
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नींव कहो या बीज कहो, इनको मजबूत बनाना है।
पढ़ते पढ़ते जो रूठे तो,हँसकर हमें मनाना है।
भाग्य विधाता यही बनेंगे,अपने विशाल भारत के,
हर बच्चें में ज्ञान धैर्य,साहस का अलख जगाना है।
पंख खुले तो यही गगन में,है उड़ान भरने वाले।
संबल साहस धैर्य बढ़े तो,नहीं कभी डरने वाले।
छोटा नहीं समझना इनको,नर नस्लों के बीज यहीं,
कभी बनेंगे भारत के ये,दुख पीड़ा हरने वाले।
नन्हें पग की भी शक्ति से,यह धरती हिल जाएगा।
इनके मुश्काने से मन की,हर बगिया खिल जाएगा।
नील गगन में उड़ जाने को,पंख खोल दो इनके भी,
कदमताल जब चले नापकर,लक्ष्य शिखर मिल जाएगा।
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डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर” ✍️✍️