भारत के जन गण मन का अभिमान तिरंगा हो।
भारत के जन गण मन का अभिमान तिरंगा हो ।
भारत की हर एक माँ का अरमान तिरंगा हो
मातृभूमि इस वीरभूमि की सेवा में दिन रात लगे,
भारत माँ के हर प्रहरी की आन तिरंगा हो,
भारत के जन गण मन का अभिमान तिरंगा हो।
एक तिरंगा यात्रा में जो आगे बढ़ गोली खाए,
वो सपूत भारत माता का मस्तक चन्दन कहलाए
चन्दन तरु को कोई विषधर फिर से निगल नहीं जाए
आस्तीन के सांपों को अब गिन गिन कर नापा जाए
राष्ट्रध्वजा भारत माँ का जयगान तिरंगा हो,
भारत के जन गण मन का अभिमान तिरंगा हो।
जिसने अपना लाल दिया अनुभव पूछो उस माता का,
सकल भुवन विपरीत हुए रूठे से भाग्य विधाता का,
अब भी रोटी राजनीति की टेढ़ी-मेढ़ी सिकती है,
देख लाल की छलनी छाती माता सतत् सिसकती है
वीर प्रसूता हर माँ का सम्मान तिरंगा हो,
भारत के जन गण मन का अभिमान तिरंगा हो।
राष्ट्र धर्म से बढ़ कर मजहब कोई और नहीं होता,
वन्दे मातरम कहने से कोई बेधर्म नहीं होता,
अब भी जिन की रग रग में मक्कारी औ गद्दारी है
जहाँ तिरंगा नहीं दिखे अब उसी जगह की बारी है,
भारत माँ की आन वान और शान तिरंगा हो,
भारत के जन गण मन का अभिमान तिरंगा हो।
जिनके नायक दाउद, लखवी अफजल से हत्यारे हैं,
हमने एयसों की खातिर ही अपने चन्दन वारे हैं
अब हम माफ नहीं कर सकते कायरता के पापों को,
खींच खींच के फिर मारेंगे आस्तीन के सांपों को,
भारत का फिर नव गौरव अभियान तिरंगा हो
भारत के जन गण मन का अभिमान तिरंगा हो!
अनुराग दीक्षित