भारत की पुकार
भारत की पुकार
जहाँ-जहाँ पे होगी खुदाई, वहीं पे मन्दिर निकलेगा।
मुगलों ने कुकर्म किया जो, राज वो सारा खोलेगा।।
गौरी, गजनी और बाबर ने जमकर भारत लूटा था,
आतंकी औरंगजेब के छल से अपना मन्दिर टूटा था।
जाग उठे हैं महाकाल अब, डम-डम डमरू बोलेगा।
मुगलों ने कुकर्म किया जो, राज वो सारा खोलेगा।।
बाबरी टूटा सजी अयोध्या, बन गया मन्दिर राम का,
काशी-मथुरा दिल्ली बाकी, बाकी घर घनश्याम का।
काले पन्ने फट जाएंगे, इतिहास यहाँ फिर बदलेगा।
मुगलों ने कुकर्म किया जो, राज वो सारे खोलेगा।।
युगों-युगों से करता प्रतीक्षा, नंदी बैठा अविचल है।
बाबा भोलेनाथ का दर्शन, मन में इच्छा प्रतिपल है।
ज्ञान का वापी निर्मल होगा, खुशी से नंदी डोलेगा,
मुगलों ने कुकर्म किया जो, राज वो सारा खोलेगा।।
स्वर्णिम भारत की गर्दन पे, चली मुगलिया तलवारें,
तुष्टीकरण की राजनीति में, सिसक रही थी दीवारें।
रक्त बहाया था पुरखो ने, खून नया अब खौलेगा,
मुगलों ने कुकर्म किया जो, राज वो सारा खोलेगा।।
जाग-जाग हे भारतवंशी, जाग उठे अब विश्वनाथ,
छोड़ के मुरली कान्हा तुम भी, उठा सुदर्शन अपने हाथ।
यमुना दूषित करने वाले, कालिया का फन कुचलेगा।।
मुगलों ने कुकर्म किया जो, राज वो सारा खोलेगा।।
गंगा जमुनी करनेवालों, अब वक्त तुम्हारा आया है,
करो सत्य स्वीकार यही कि मन्दिर किसने ढाया है।
भाईचारा भाव दिखा कब, दाग वो सारे धोएगा?
मुगलों ने कुकर्म किया जो, राज वो सारा खोलेगा।।
जहाँ-जहाँ पे होगी खुदाई, वहीं पे मन्दिर निकलेगा।
मुगलों ने कुकर्म किया जो, राज वो सारा खोलेगा।।
कवि पंकज प्रियम