भारत की धरती से देखो इक परचम लहराया है।
(3) ग़ज़ल
भारत की धरती से देखो इक परचम लहराया है ।
सब ने सोचा हमने इस को कर जहां को दिखाया है।।
सब ने देखा रुतबा इसका, माना है इसका डंका ।
लेकर मन में आशा फिर से ,नव इतिहास रचाया है ।।
आज मनाये ईद दिवाली, घर को रौशन कर आये।
आ भी जाना दिलबर मेरे, सपना हमने सजाया है।।
तुझको देखूं जब भी हमदम, जागे सपना आंखों में।
ख्वाबों में अक्सर ही तुझको अपने पास सदा पाया है ।।
सब ने माना देश हमारा “ज्योटी” प्यारा है लगता ।
गौरव इसका सब जग जाने, सब ने शीश झुकाया है।।
ज्योटी श्रीवास्तव (jyoti Arun Shrivastava)
अहसास ज्योटी 💞✍️