भारत का गणतंत्र
मानवता – कल्याण – युत, मूल्यों का है मंत्र ।
इक किताब है न्याय की , भारत का गणतंत्र ।। . . .
यहाँ पंथनिरपेक्षता, है समता का सार ।
प्रेम और निष्पक्षता, इसका है आधार ।।
जनता के हाथों चले, ऐसा है ये यंत्र,
इक किताब है न्याय की, भारत का गणतंत्र ।। . . .
देता है निज ढंग से, जीने का अधिकार ।
मगर निभाएँ नीति से कर्तव्यों का भार ।।
भेदभाव से मुक्त है, अपना शासन तंत्र,
इक किताब है न्याय की, भारत का गणतंत्र ।। . . .
सद्भावों की राह पर, चलना इसका धर्म ।
निर्बल को करना प्रबल, इसका अपना कर्म ।।
करना है हित देश का, यही फूँकता मंत्र,
इक किताब है न्याय की, भारत का गणतंत्र ।। . . .
26-11-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
26-11-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद