भारत का लाल मैं बनूँ भारत का लाल मैं बनूँ
तूफाँ के रुख को थामने नौजवान चले हैं
कदम – कदम मिलाकर आज साथ चले हैं
होठों पर है वतन के लिए वंदे मातरम
सर पर कफन बँधाये सीना तान चले हैं
देने लहू की आहुति देश के लिए
भारत के लाल गर्व से हूँकार चले हैं
कसम है खाई युगों-युगों लहराए तिरंगा
अमन के दुश्मनों पर शेर सा दहाड़ चले हैं
उत्तर में है विशाल हिमालय खड़ा हुआ
बेशकीमती है ताज जो मस्तक जड़ा हुआ
दक्षिण में है कन्याकुमारी की हसीं छवि
गाथा सुनाते हिंद की खुशी खुशी सभी
सारी फिजा है हिंद के रंग में रंगी
चोले पर आज रंग केसरिया चढ़ा हुआ
पूरब से लेकर पश्चिम तक जोश है भरा
विजय तिलक लगा रही रणबाँकुरों की माँ
हो जिंदगी सादिक जहाँ में तो वतन के वास्ते
हर दिल में बस प्यार हो अहले वतन के वास्ते
रब से यही दुआ है कि जब भी मैं जन्म लूँ
भारत का लाल मैं बनूँ भारत का लाल मैं बनूँ
– आशीष कुमार
मोहनिया बिहार