भारत का परचम
धारे खा गए ,नाले खा गए ,
कुछ जीजे खा गए , कुछ साले खा गए ,
कुछ गोरे खा गए , कुछ काले खा गए ,
गोरे गए ,काले आ गए ,
सालो के भी ,साले आ गए ,
अलीगढ़ से भी बड़े, ताले आ गए ,
अनगिनत बदल के , पाले आ गए ,
न जाने कितने, घोटाले आ गए ,
फिर भी सब ढाक के, तीन पात हैं ,
दिन में भी रात है ,
नेताओ में कुछ खास बात है ,
लोकतन्त्र की बारात है ,
मिले माल तो सब साथ हैं ,
वरना तेरी क्या औकात है ,
यही सब चल रहा है ,
आम आदमी आंखे मल रहा है ,
कोई पहन के चप्पल, जनता को छल रहा है,
ये भारत देश है ,
लोकतन्त्र में बचा , सिर्फ विद्वेष है,
जनता सब जान रही है ,
मक्कारों को पहचान रही है ,
2024 आ रहा है ,
भारत का परचम लहरा रहा है ,
विश्व भारत गुणगान गा रहा है !