भारत का गौरवगान सुनो
युगों – युगों से खड़ा हिमालय, युगों – युगों से गंगा बहती ।
त्याग, तपोवन भूमि यही है, भारत का गौरव – गान सुनो ।।
संस्कार की पृष्ठभूमि रच, विज्ञान सभी को समझाया ।
शून्य विश्व को देकर हमनें, फिर गणना करना सिखलाया ।
अभिमानी मस्तक उठते जब, तूणीरों का संधान सुनो ।।
भारत का गौरव – गान सुनो——
अध्यात्मिकता का ज्ञान प्राप्त कर, जीवन का सारांश बताया ।
भाषा, नीति, न्याय, दर्शन का, नित्य जगत को पाठ पढ़ाया ।
जब स्वाभिमान पर करे वार अरि, वीरों का फिर बलिदान सुनो ।।
भारत का गौरव – गान सुनो——
छः ऋतुओं से सजा देश यह, भिन्न – भिन्न है परिवेश यहाँ ।
यह राम – कृष्ण की जन्म – स्थली, ॠषि – मुनियों का उपदेश यहांँ ।
मानवता की सुधा पिलाकर, शिव – शंकर का विषपान सुनो ।।
भारत का गौरव – गान सुनो——
जाति – धर्म है पृथक – पृथक पर, एक सूत्र में बँधकर रहते ।
भक्ति, प्रेम, सौहार्द हृदय में, सदा सत्य की पूजा करते ।
और नहीं है जग में दूजा, इस जैसा हिन्दुस्तान सुनो ।।
भारत का गौरव – गान सुनो——
✍️अरविन्द त्रिवेदी
उन्नाव उ० प्र०