भारतकी बेटी
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दूसरे और चौथे चरण में 222
भारत की बेटी
मैं जिस भारत की बेटी हूं,
उसका गीत सुनाती हूं।
जिसका नाम विश्व में ऊंचा,
उसका नित गुण गाती हूं।
था भारत सोने का पंछी,
आ शत्रुओं ने लूटा था।
बार-बार की लूटपाट से,
एक कोना न छूटा था।
साहसी शौर्यवान भारत,
का कौन कुछ बिगड़ेगा।
आ देश का बच्चा-बच्चा,
इसे खूब संवारेगा।
पाकिस्तान के लिए
क्या हुआ जो इसका सहोदर,
नित षड्यंत्र रचाए हैं।
विवेक घुटनों में धंस रहा,
जीभा अति ललचाए हैं।
चीन के लिए
उत्तरी पड़ोसी भी नित नया,
कुटिल खोजे रचाता है।
फैला कर जग में महामारी,
कैसी चाल चलाता है।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश)