भारत महिमा (भारती हो भारती, दुनिया तुझे निहारती।)
भारती हो भारती,,दुनिया तुझे पुकारती।
जहाँ वेदो , पुराणो का उत्थान हुआ ।
जहाँ नक्षत्रों का अद्भुत ज्ञान हुआ।।
ऋषि , मुनियों का ये देश कहाया,
उसी पुण्य भुमि कहते माँ भारती,,
भारती हो भारती………………………. 1
जहाँ त्रि नदियाँ का ऐसा संगम लिये।
जल, अचल, समतल का वैभव लिये।।
जहाँ नुन दुरी पर लोग बसेरा करते ,
शाम – शवेरा घर – घर करते आरती ,,
भारती हो भारती………………………. 2
जहाँ के वीरों में दिन दुगुना जोश भरा।
दिलों में झाँके तो न रहता पहरा ।।
घन की गौर गडगडाहट में रहता वहीं,
ऐसे वीरों को हमेशा पूकारती माँ भारती,,
भारती हो भारती……………………….. 3
महान् मुनि भरत से इसका नाम पडा।
जिसने तप साधना से भरा पूण्य घडा।।
जिसके वचनो की वाणी में तप रहता,
ऐसे पूण्यौ ऋषि ,मुनियों की हैं सारथी ,,
भारती हो भारती……………………….4
जडी – बूटियों से घना हैं जंगल भरा।
जिसका परिवेश मनोरम रहता हरा।।
जहाँ डाल-डाल पर पंछी गान गुनगुनाते,
ऐसा परिवेश जो मिटाये उसे ललकारती,,
भारती हो भारती………………………. 5
जहाँ भाषाओं का अनमोल वैभव लिये।
चार कोषों पर जल भाषा बदल जायें।।
ऐसा भारत विभिन्नता का मान लियें,
जिसकी भाषायें भी बैरी को दहाडती,,
भारती हो भारती……………………… 6
जिसकें वीरों ने गौरवमय इतिहास रचा।
इन वीरों की आत्मियता का मान भी सच्चा।।
ऐसे महाबली , महारथी वीरों का भारत देश,
जो आंचन लगायें उससे तलवारों से काटती,,
भारती हो भारती…………………………7
जिसको सोने की चिडियाँ का नाम मिला।
इस जग में जिसको गूरुता का स्थान मिला।।
वो भारत वैभव वसुंधरा का अनमोल हिरा,
रणजीत कहे भवसागर की हैं मया भारती,,
भारती हो भारती………………………. 8
भारती हों भारती ,, दुनिया तुझे निहारती।।
रणजीत सिंह “रणदेव” चारण
गांव – मुण्डकोशियां
पं.स.-लिकी
तहसील – आमेट। ( 313332)
जिला – राजसमंद
7300174927