भारतीय विद्यार्थी
कौन कहता है,
हमारे विद्यार्थी,
आलसी ,निकम्मे है।
नहीं मानो तो,
उदाहरणों से पता चल जाएगा।
वे समय का मूल पहचानते हैं,
देख लीजिए बसों की सीट पर,
रेलगाड़ियों की संडास में,
लिखते रहते हैं और,
चित्रकारी करते रहते हैं।
नारायण अहिरवार
अंशु कवि
सेमरी हरचंद होशंगाबाद
मध्य प्रदेश**