भारतवंदन
नमन भारत भूमि को यहाँ माँ गंगा का जल पावन।
आओ सब मिलकर करें अपने राष्ट्र का वंदन।।
पावन मिट्टी है यहाँ की जिसमें हम हैं खेले
इसी मिट्टी से भागे रोग जो हमने थे झेले
अन्न यहां का खाकर हमने सुंदर पाया तन मन
जन्म लेकर स्वयं को मानें है भाग्यशाली जन जन
अपनी पावन जन्मभूमि का ह्रदय से करें आराधन
आओ सब मिलकर करें अपने राष्ट्र का वंदन।।
ऋषि मुनियों की धरती ये लेते ईश्वर हैं अवतार
अधर्म का कर खात्मा करें स्थापना धर्म हर बार
मोह माया है सब जग ये देते सबको ये संदेश
भवसागर से पार उतरना रहा उनका है उपदेश
ज्ञान पुष्प हैं खिलते रहते है ये ऐसा उपवन
आओ सब मिलकर करें अपने राष्ट्र का वंदन।।
धर्म निरपेक्ष है देश हमारा है न कोई कट्टरपन
जाति मजहब से ऊपर लगता प्यारा अपना वतन
भाईचारे का पाठ पढाया विश्व गुरु सो कहलाया
एक ईश्वर की सब संतान सबको है समझाया
पूरा विश्व मिल जुलकर रहे करते हम ऐसे जतन
आओ सब मिलकर करें अपने राष्ट्र का वंदन।।
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अशोक छाबडा
गुरूग्राम