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14 Dec 2020 · 1 min read

भाड़ में जाओ तुम

एक ही शख्स था दिल के सोहबत में
ठोकरें लगी उसी के उल्फत में

क्या तकल्लुफ करुं ये कहने में
भाड़ में जाओ तुम,
खुद ही संभलते हैं हम खल्वत में

चुरा लेगा दिल से दिल की धड़कन भी
किसे खबर छुपा है क्या किस की फितरत में

अब सभी खतरे से मैं बारहा बाहिर हूॅं
अब कोई खतरा नहीं दिल के ग़फ़लत से

दिल को आखिर इतनी क्यों छूट मिले
कि चूमता रहे यार ए दर उस की चाहत में

हैं और सौ मसाईलें इस दुनिया में पुर्दिल
सब कुछ नहीं यार – ए – सुखन के हिकमत में
~ सिद्धार्थ

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