भाग दौड़ की जिंदगी में अवकाश नहीं है ,
भाग दौड़ की जिंदगी में अवकाश नहीं है ,
कितना भी करूं सारे दिन कुछ खास नहीं है,
सबके लिए लगी रहूं अपने लिए सांस भी नहीं है ,
तानों की धूप से जलती भुनती पर राख भी नहीं हूं
दयामूर्ति पर दुख सुन बर्फ-सी पिघल पर महान नहीं है ,परिश्रम कर पसीना बहा लूं कितना पर कर्मठ नहीं है ,मैं नारी करना यही है पर खुद के लिए समय नहीं है
यह सच्चाई है स्वीकार किया पर यह श्राप नहीं है।
अपने लिए समय निकाल वनिता यह भी पाप नहीं है
-सीमा गुप्ता