भाग के आग में बेटी
ये है देश मै औरतों कि इस्थिति, मगर आधी अधूरी।
ज्यादा मामले तो संज्ञान में आते ही नहीं और लोग संसद मै बैठ बकैती करने में, और हैदराबाद इनकाउंटर को सही साबित करने में गला फाड़ रहे हैं अपना।
लेकिन इस सब से उबरने निकलने का कोई सही रास्ता न बता रहे न उस ओर उनका प्रयास दिख रहा।
करेंगे भी कैसे अपने सगे वाले सभी तो लमपटाधीस ही हैं। उन सब का भी बधिया जो कराना पर जाएगा।
मेरे दोनों तलहथी में इतनी खुजली हो रही है कि क्या बताऊं, किसी गाल की सेकाई करने को एकदम व्याकुल है।
इन बेहूदे बेहुदियों को देख कर लगता है इन लोगों के अंदर का आदम मर चुका है, ये सब अब बैंपायर हैं। जो अपनी छुधा शांत करने के लिए कुछ भी और किसी का भी भक्षण कर सकते हैं।
कैसे बचेगा ये समाज और इस समाज में आदम का आदम ही रह पाना दिन पर दिन मुश्किल होता जा रहा है। बहुत चिंताजनक इस्थीति… उम्मीद की शायद कुछ बेहतर हो पाए … जय हो
~ सिद्धार्थ